बड़ी खबर- Flipkart, Amazon जैसी E-कंपनियों पर लागु होगा नया कानून, अब नहीं आएगी डिस्काउंट वाली Online शॉपिंग की सेल। ई-कॉमर्स कंपनियों से जहां कंज्यूमर्स को फायदा मिला है. वहीं देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों की शिकायत लगातार बनी हुई है. इस बीच सरकार जहां डिजिटल मार्केट के लिए एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है, तो वहीं अब व्यापारियों के संगठन कैट (CAIT) ने भी अपनी मांग रखी है.
संसद की स्थायी समिति ने की ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज (Parliamentary Standing Committee files complaint against e-commerce companies)
छोटे व्यापारियों की ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर शिकायतें लगातार बनी हुई हैं. एक तरफ वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ-साथ पूरी ‘गिग इकनॉमी’ के लिए एक नया कानून लाने की वकालत की है. वहीं शुक्रवार को छोटे व्यापारियों के संगठन कंफेडेरेशन ऑफ ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी देश में मजबूत ई-कॉमर्स पॉलिसी लागू करने की बात कही है. साथ ही इस सेक्टर के लिए एक रेग्यूलेटर बनाने की मांग भी रखी है.
टेक कंपनियों की मनमाने रवैये को लेकर एक रिपोर्ट संसद में पेश की (A report was presented in Parliament regarding the arbitrary attitude of tech companies)
भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त स्थायी समिति ने गुरुवार को ‘बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियां’ नाम की एक रिपोर्ट संसद में पेश की. इसमें बड़ी टेक कंपनियों की मनमाने रवैये को लेकर डिटेल में बात की गई है. साथ ही समिति ने एक नए डिजिटल कंप्टीशन एक्ट को लाने की जरूरत भी बताई.
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर बाकी लोगों के प्रोडक्ट के बजाय अपने प्राइवेट लेबल के ब्रांड को ज्यादा तवज्जो देती हैं. वहीं ग्राहकों के डेटा का इस्तेमाल करती हैं, जो मार्केट कंप्टीशन में उन्हें आगे रखता है. वहीं एक प्रोडक्ट के साथ कई अन्य प्रोडक्ट को बंडल करके सेल करती हैं.
कैट ने रखी ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए रेग्यूलेटर की मांग (CAIT demands regulator for e-commerce sector)
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए सेबी और आरबीआई की तरह एक रेग्यूलेटर होना चाहिए. इससे भारत में ई-कॉमर्स बिजनेस को सही से रेग्यूलेट करने में मदद मिलेगी. सरकार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट) के तहत ई-कॉमर्स नियम जारी करने चाहिए. रिटेल एफडीआई नीति में संशोधन कर एक नया प्रेस नोट जारी करना चाहिए.
विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के छोटे व्यापारियों के लिए बन गयी है खतरा (Foreign e-commerce companies have become a threat to the small traders of the country.)
उन्होंने कहा कि अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में नए नियम लागू नहीं किए गए, तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएंगी. ये उनकी आजीविका पर संकट खड़ा करने वाली स्थिति को जन्म देगा.
संसद की वित्त स्थायी समिति ने डिजिटल बाजारों के खिलाफ रखा ये प्रस्ताव (Parliament’s Finance Standing Committee put forward this proposal against digital markets)
कैट के इन मांगों को रखने से एक दिन पहले ही संसद की वित्त स्थायी समिति ने डिजिटल बाजारों में कंप्टीशन को प्रभावित करने वाले व्यवहार और कंपनियों की मनमर्जी पर रोक लगाने वाले व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए नए कानून की जरूरत बताई है. वहीं इन कंपनियों को भारी छूट देने, सर्च और रैकिंग में अपने प्रोडक्ट को प्राथमिकता देने के तरीकों से दूर रहने का परामर्श भी दिया है.