Black Dog is a Brand: दिलचस्प है ‘ब्लैक डॉग’ के नाम की कहानी, ब्लैक डॉग व्हिस्की भारतीय शराब प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस व्हिस्की का नाम कैसे पड़ा? इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है। इस नाम का संबंध इस शराब को बनाने वाले व्यक्ति सर वाल्टर मिलार्ड की आदत से जुड़ा है। आइए जानते हैं ब्लैक डॉग के नाम की कहानी।

अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शहंशाह’ का एक सीन है। दिग्गज खलनायक अमरीश पुरी और प्रेम चोपड़ा एक बार में बैठे हैं। वेटर अमरीश पुरी को अपनी पसंदीदा शराब देता है लेकिन पुरी एक ‘ब्लैक डॉग’ की मांग करता है। प्रेम चोपड़ा कारण पूछते हैं, जिसके जवाब में अमरीश पुरी एक छोटा सा संवाद करते हैं, ‘जिस दिन मुझे कोई सफेद तितली नहीं दिखती, मेरे खून में सैकड़ों काले कुत्ते भौंकने लगते हैं।’ यह सीन मीम्स लवर्स के दिलों में खास जगह रखता है। हालांकि अमरीश पुरी की ब्लैक डॉग पीने की जो भी व्याख्या हो, हकीकत यह है कि इस मशहूर व्हिस्की का ब्लैक डॉग से कोई लेना-देना नहीं है। आपको बता दें कि ब्लैक डॉग एक ऐसा ब्रांड है, जो दशकों से भारतीय शराब प्रेमियों के बीच काफी मशहूर है। तो इसका नाम ब्लैक डॉग से कैसे पड़ा, आइए जानते हैं।
दरअसल, इस नाम का संबंध इस शराब को बनाने वाले सर वाल्टर मिलार्ड की आदत से जुड़ा है। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार मिलार्ड को मछली पकड़ने का बहुत शौक था, उन्होंने मछली पकड़ने के लिए एक खास तरह के कांटे ‘फिशिंग फ्लाई’ का इस्तेमाल किया। मछली पकड़ने वाली इस मक्खी को काला कुत्ता कहा जाता है। आप देखेंगे तो पाएंगे कि ब्लैक डॉग व्हिस्की की बोतल पर नाम के ठीक ऊपर फिशिंग फोर्क लोगो की तरह बना हुआ है। मछली पकड़ने की इस मक्खी से प्रेरित होकर व्हिस्की बनाने वाली कंपनी मिलार्ड ने 1883 में इस शराब ब्रांड की शुरुआत की थी। तो आप समझ ही गए होंगे कि इस मशहूर स्कॉच व्हिस्की ब्रांड का नाम कैसे पड़ा।