Dollar Vs Rupee: डॉलर की दहाड़ के आगे रुपया अभी भी कांप रहा है। शुरुआती कारोबार में ही रुपया डॉलर के मुकाबले 81.47 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। पिछले बंद भाव से इसमें 38 पैसे की गिरावट आई है। डॉलर 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, रुपये में ऐतिहासिक गिरावट के बाद कारोबारियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक इस गिरावट को रोकने के लिए डॉलर को बेच सकता है।
क्या असर होगा
रुपये के कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ेगा। भारत को आयात पर पहले से ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा। आयात पर निर्भर कंपनियों का मार्जिन कम होगा, जिसकी भरपाई कीमतें बढ़ाकर की जाएगी। इससे महंगाई बढ़ेगी। पेट्रोलियम उत्पाद, विदेश यात्रा, विदेश से सेवाएं लेना आदि भी महंगे हो जाएंगे। रुपये के कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है। खजाना खाली रहेगा। आर्थिक दृष्टि से यह अच्छी बात नहीं है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा
01 जनवरी 75.43
01 फरवरी 74.39
01 मार्च 74.96
01 अप्रैल 76.21
01 मई 76.09
01 जून 77.21
01 जुलाई 77.95
01 अगस्त 79.54
29 अगस्त 80.10
22 सितंबर 80.79
26 सितंबर 81.47 (शुरुआती ट्रेड में)
कमजोर रुपये से कौन कमाएगा?
रुपये के कमजोर होने से विदेशों में काम करने वाली आईटी कंपनियों की कमाई बढ़ेगी, वहीं फार्मा सेक्टर का एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा, वहीं टेक्सटाइल सेक्टर को फायदा होगा। भारत वर्तमान में कपड़ा निर्यात की वैश्विक रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है। कमजोर रुपये से भी इस सेक्टर को काफी फायदा होगा।