EWS reservation: सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाले मामले पर सुनवाई हुई है. सुनवाई सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की संविधान पीठ में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से संविधान पीठ को मामले की सुनवाई के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराया गया। क्या संविधान के 103वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे को तोड़ने वाला कहा जा सकता है, जिससे राज्य को आर्थिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति मिलती है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से संविधान पीठ को मामले की सुनवाई के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराया गया। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के तीन सवालों को मंजूरी मिल गई है।

अटार्नी जनरल द्वारा लिए गए 3 बड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई
ये तीन कानूनी सवाल-
1- क्या 103वां संविधान संशोधन संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ इस आधार पर है कि इसके तहत सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण की शक्ति मिली है?
2-क्या यह संशोधन इस आधार पर बुनियादी ढांचे का उल्लंघन करता है कि यह सरकार को गैर-सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है?
3- क्या 103वां संशोधन इस आधार पर बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है कि ओबीसी, एससी, एसटी को गरीब वर्ग के आरक्षण में शामिल नहीं किया गया है?
कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने जा रही है. अगर सुप्रीम कोर्ट ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत मिलने वाले आरक्षण को सही ठहराता है तो सरकारी नौकरी से लेकर एडमिशन तक में आरक्षण का फायदा उठा रहे लोगों के लिए बड़ी राहत होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कब होगी सुनवाई?
वहीं, मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह ईडब्ल्यूएस लोगों को दाखिले और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को लेकर दायर याचिकाओं पर 13 सितंबर को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह बात तब कही जब पीठ को बताया गया कि पक्षकारों के वकील को अपनी दलीलें पेश करने में लगभग 18 घंटे लगेंगे। पीठ ने सभी वकीलों को आश्वासन दिया कि उन्हें अपनी दलीलें पेश करने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा। साथ ही पीठ ने कहा था कि वह 40 याचिकाओं पर निर्बाध सुनवाई सुनिश्चित करने के निर्देश देने के लिए गुरुवार को फिर से बैठक करेगी।