Farming Update आप को बता दे की पहले तो पूरे मानसून सीजन में कम बारिश होने से और अब पिछले चार दिनों से हो रही बारिश ने कई राज्यों में खरीफ फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सबसे अधिक असर धान की अगेती किस्मों पर पड़ा है। इसके अलावा गन्ना, बाजरा और सब्जियों समेत अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है। जिसके कारण हुआ किसानो को भारी नुकसान।

मानसून के चलते किसान मौसम की मार से उबर नहीं पा रहे हैं। पहले तो पूरे मानसून सीजन में कम बारिश होने से और अब पिछले चार दिनों से हो रही बारिश ने कई राज्यों में खरीफ फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सबसे अधिक असर धान की अगेती किस्मों पर पड़ा है। इसके अलावा गन्ना और सब्जी समेत अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है। बारिश से फसलों को नुकसान के बारे में जानने के लिए रूरल वॉयस ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के किसानों व वैज्ञानिकों के साथ बातचीत में हालात जानने की कोशिश की। तो पता चला की मौसम की मार ने किसनो की फसलों का बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है।

आज कल इस इस बारिश ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में धान किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। रूरल व़ॉयस से बातचीत में ग्राम नेकपुर जिला बुलंदशहर के किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि उन्होंने बासमती धान की खेती लगभग तीन एकड़ में की थी। उनकी अगेती फसल पक चुकी थी और खेतों में कुछ कटी रखी थी। वह खेतों में ही पड़ी रह गई। अधिक बारिश के चलते खेतों में अधिक पानी भरने के कारण दाने काले पड़ने लगे हैं। ये सड़ भी जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव में लगभग 450 एकड़ में धान की खेती की गई थी। इसमें से लगभग 60 फीसदी किसानों की फसल गिर गई है। जिससे की किसनो को हुआ भारी नुकसान। उठानी पड़ रही परेशानी।
धान के साथ गन्ना और बाजरा को भी भारी नुकसान हुआ Along with paddy, sugarcane and millet also suffered heavy losses.
आप को बता दे की प्रीतम सिंह का कहना था कि उनके गांव में गन्ने के फसल भी गिर गई है। गन्ने की फसल को लगभग 25 प्रतिशत का नुकसान होने का अंदेशा है। अगेती धान की फसल, जिनकी बालियां पक गई थीं, उन्हें 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है। देर वाली किस्मों में जो फसले गिर गईं, उसमें भी किसानों का 25 फीसदी तक नुकसान का अंदेशा है। गांव हिरनकी, नई दिल्ली के किसान उमेश कुमार सिंह ने कहा कि उन्होंने 20 एकड़ में अगेती धान की फसल लगाई थी। बालियां पक गई थीं और फसल कटने के लिए तैयार थी। लेकिन तेज हवा और पानी से फसल खेतों में बिखर गई है। तेज हवाओ और तेज पानी ने फसलों को पहुंचाया नुकसान।

आप को बता दे की खेतों से बारिश का पानी नहीं निकलने के कारण समस्या और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि पानी नहीं निकलने पर दाने काले पड़ जाते हैं और खेत में डंठल सड़ने लगते हैं। उन्होंने मूली और पालक भी बोये थे। लेकिन खेतों में पानी भरने के काऱण वे भी सड़ जाएंगे। गांव कडेंला, जिला जींद, हरियाण के किसान सुनील कंडेला ने कहा कि उनकी जिले में सबसे अधिक नुकसान बाजरे की फसल को हुआ है। उन्होंने बताया कि अधिकतर किसानों की बाजरे फसल पक गई थी और काट कर खलिहान में रखी गई थी। बारिश के कारण दाने खेतों में झड़ जाएंगे और सड़ जाएंगे। बाजरे की जो फसल खेतों मे खड़ी थी, वह भी गिर गई है। बाजरा किसानों को लगभग 50 फीसदी नुकसान होने की आशंका है। जिसके चलते किसानो को हो सकता है भारी नुकसान।
उड़द-मूंग के साथ सब्जियां भी बारिश की चपेट में आई है Along with urad and moong, vegetables have also come under the grip of rain.
जानकारी मिली है की गांव भूरेका जिला मथुरा के किसान सुधीर अग्रवाल ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने धान की अगेती किस्म 1692 और 1509 की खेती 50 एकड़ में की थी। फसल भी अच्छी थी, लेकिन चार दिन की भारी बारिश में फसलों का भारी नुकसान हुआ है। सारी फसलें गिर गई हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव में लगभग 70 प्रतिशत धान की फसलें गिर गई हैं। उन्होंने दो एकड़ में उड़द और मूंग की फसल लगाई थी, जो दाने की अवस्था में आ गई थी, लेकिन वह पूरी तरह बर्बाद हो गई है। बाजरा की फसल कटने का अवस्था में थी, लेकिन उसे भी इस भारी बारिश से नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने तोरिया और सब्जी लगाई थीं, उन खेतों में पानी भर जाने से बीज सड़ जाएंगे। और फसल के सड़ने की सम्भावना है।

खेत की मेड़ पर लगाएं सब्जियां जिससे होगा आप का फायदा Plant vegetables on the ridge of the farm, which will benefit you
हाल ही में कृषि विज्ञान केन्द्र हापुड़ के हेड डॉ हंसराज सिंह ने रूरल वॉयस से बातचीत करते हुए किसानों को सुझाव दिया कि जिन किसानों ने फसल काट कर खेतों में रखा था, वे खेत से पानी निकालने की व्यवस्था करें वर्ना दाने खराब हो जाएंगे। खड़ी फसलों के खेत में भी पानी का अधिक जमाव है तो अधिक नमी के कारण धान के दाने ज्यादा टूटेंगे और किसानों को उचित दाम नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि धान की देर वाली फसलें जो अभी खेतों में खड़ी हैं, उनमें नमी के कारण बीपीएच कीट सहित कई कीटों का आक्रमण हो सकता है। उन्होंने सब्जियों, तिल और अरहर के खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह अचानक मौसम में बदलाव को देखते किसानों को रबी में अगेती बोई जाने वाली तोरिया सब्जियों की मेड़ों पर बुवाई करनी चाहिए जिससे नुकसान से बचा जा सके। और इससे अलग से इनकम हो किसानो को यह सुधाव दिया गया है।

बता दे की भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सूर्यनाथ चौरसिया ने रूरल वॉयस को बताया कि इस समय गोभी और आलू बोने का समय है। पिछले दिनों भारी बारिश से बुवाई में देरी होगी और जिन किसानों ने सब्जियों की बुवाई की और नर्सरी डाली उनका भारी नुकसान हुआ है। उन्हें अब खेत सूखने का इंतजार करना होगा। आगे जिन किसानों को सब्जियों की खेती करनी है, वे उंची जगहों और पॉली हाउस, ग्रीन हाउस में नर्सरी डालें। उन्होंने अभी मेड़ों पर बुवाई करने की सलाह दी। इससे फसल की बुवाई में देरी नहीं होगी और अच्छी उपज भी मिलेगी। और किसानो को होगा अधिक फायदा।