गन्ने बुआई की नयी विधि से होगी रिकॉर्ड तोड़ कमाई बस इस नई वैरायटी की खेती से बने मालामाल कृषि सलाहकार श्रीराम ने कहा कि केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने के ठूंठ का उपयोग करके Co86032 किस्म की खेती की जाती थी. गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की एक नई किस्म का सफल परीक्षण किया है. ganne ki new variety
गन्ने बुआई की नयी विधि से होगी रिकॉर्ड तोड़ कमाई बस इस नई वैरायटी की खेती से बने मालामाल
इस नई किस्म से किसानों को काफी फायदा होगा. कहा जा रहा है कि अगर इस किस्म से गन्ने का प्रोडक्शन भी पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा हो जाएगा.वहीं, इस खबर से किसानों के बीच खुशी की लहर है. इस नई किस्म ने गन्ने की खेती करने वालों किसानों के बीच काफी उम्मीद जगा दी है. खास बात यह है कि गन्ने की इस नई किस्म का नाम Co86032 है. यह कीट प्रतिरोधी है.
गन्ने की इस नई किस्म से किसान हो जाएंगे मालामाल Farmers will become rich with this new variety of sugarcane

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1 एकड़ में 55 टन है उपज Yield is 55 tons in 1 acre
द हिन्दू के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) राज्य की केरल मिशन परियोजना ने गन्ने की किस्स Co86032 का सफल परीक्षण किया है. Co86032 की खासियत है कि इसे सिंचाई की कम जरूरत होती है. यानी गन्ने की Co86032 किस्म कम पानी में तैयार हो जाती है. साथ ही यह कीटों के हमले के खिलाफ लड़ने में ज्यादा कारगर है, क्योंकि इसमें प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई जाती है.
किस्म का सफल परीक्षण successful test of variety
साथ ही इससे अधिक प्रोडक्शन भी मिलेगा. वहीं, परीक्षण से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सस्टेनेबल गन्ना पहल (एसएसआई) के जरिए साल 2021 में एक पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था. दरअसल, एसएसआई गन्ने की खेती की एक ऐसी विधि है जिसमें कम बीज, कम पानी और कम से कम खाद का उपयोग होता है.
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एसएसआई खेती पद्धति का उद्देश्य Purpose of SSI Farming Method
ganne ki is nayi kism se kisaan ho jaenge malamal
वहीं, कृषि सलाहकार श्रीराम परमशिवम ने कहा कि केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने के ठूंठ का उपयोग करके Co86032 किस्म की खेती की जाती थी. लेकिन पहली बार गन्ने की पौध का इस्तेमाल खेती के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने गन्ने की खेती के लिए एसएसआई पद्धति पहले ही लागू कर दी है. नई एसएसआई खेती पद्धति का उद्देश्य कम लागत पर उपज बढ़ाना है.
ganne ki new variety
5,000 पौधे की ही जरूरत पड़ेगी Only 5,000 saplings will be needed
मरयूर के एक किसान विजयन ने कहा कि प्रायोगिक परियोजना से एक एकड़ भूमि में 55 टन गन्ना प्राप्त हुआ है. ऐसे एक एकड़ में औसत उत्पादन 40 टन होता है और इसे प्राप्त करने के लिए 30,000 गन्ना स्टंप की आवश्यकता होती है. हालांकि, यदि आप रोपाई के दौरान पौध का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको केवल 5,000 पौधे की ही जरूरत पड़ेगी. विजयन ने कहा कि अब हमारे क्षेत्र के कई किसानों ने अब एसएसआई विधि से गन्ने की खेती करने का मन बना लिया है.
गन्ने बुआई की नयी विधि से होगी रिकॉर्ड तोड़ कमाई बस इस नई वैरायटी की खेती से बने मालामाल

मरयूर गुड़ marayoor jaggery
विजयन ने कहा कि प्रति एकड़ गन्ने के स्टंप की कीमत 18,000 रुपये है, जबकि पौधे की लागत 7,500 रुपये से भी कम है. अधिकारियों के अनुसार, एक महीने पुराने गन्ने के पौधे शुरू में कर्नाटक में एक एसएसआई नर्सरी से लाए गए और चयनित किसानों को वितरित किए गए. अब मरयूर में पौधे पैदा करने के लिए एक लघु उद्योग नर्सरी स्थापित की गई है. मरयूर और कंथलूर पंचायत के किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं. मरयूर गुड़ अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है.