अगर आपको भी पोलिट्रीफॉर्म का बिज़नेस शुरू करना है तो आपके लिए है बहुत ही अच्छा मौका मार्केट में बहुत ही अधिक डिमांड में ह इस नस्ल की मुर्गी किसान इस मुर्गी का पालन कर बन सकते है मालामाल लेकिन अब मुर्गियों और अंडो की बढ़ती हुयी मांग को देखते हुए लोग अब बड़े पैमाने पर मुर्गी पालते हैं। गांव के लोग अलग अलग प्रजाति की मुर्गियों का पालन करते है। आज हम आपको असील नस्ल के मुर्गियों के बारे में बताने वाले हैं. इनकी डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि इनका अंडा ही 100 रुपये में बिकता है.
एक साल में देती है इतने अंडे

अगर बात करे इस मुर्गी के अंडो के बारे में तो बता दे की इस मुर्गी का मांस काफी महंगा बिकता है। इस नस्ल की मुर्गियां साल में सिर्फ 60-70 अंडे देती हैं. इसलिए इनके अंडे काफी महंगे बिकते हैं. इनके अंडे आंखों के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं. यह आखो की रोशनी को बढ़ाने में सहायता करते है।
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क्या खासियत है इस मुर्गी में

असील मुर्गी का मुंह लंबा और सुराही नुमा होता है जो कि पंखों, घनी आंखों, लंबी गर्दन वाला होता है. इनकी मजबूत और सीधी टांगे होती हैं. इसके नर मुर्गे का भार 4-5 किलो और मुर्गी का वजन 3-4 किलो होता है. इसके कोकराल (युवा मुर्गे) का औसतन वजन 3.5-4.5 किलो और पुलैट्स (युवा मुर्गी) का औसतन वजन 2.5-3.5 किलो पाया जाता है देश में कड़कनाथ मुर्गी के साथ-साथ असील मुर्गी की भी लोकप्रियता काफी ज्यादा है. यह नस्ल दक्षिणी पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है. ये मुर्गी सहनशक्ति, झगड़ालूपन और जबरदस्त लड़ने की क्षमता की वजह से जानी जाती है. इनके काले, लाल मिश्रित रंग के पंख होते है.
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इस मुर्गी को हर राज्यों में अलग अलग नामो से जाना जाता है

इस नस्ल को हर जगह अलग अलग नमो से पहचाना जाता है असील नस्ल के मु्र्गे-मुर्गियां उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं. इस नस्ल की मु्र्गे-मुर्गियों के अलग-अलग नाम होते हैं. रेजा (हल्की लाल), गागर (काली), यारकिन (काली और लाल) और पीला (सुनहरी लाल) हैं. कई कई जगह ही इन्हे अलग नाम से जाना जाता है, और इसकी पहचान करना भी काफी आसान है।