Kapil Sibal on Supreme Court: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बाल ने कोर्ट के फैसलों की आलोचना करते कहा, अब कोई उम्मीद नहीं बची| उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों को लेकर खुलकर बात की। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं बची है।
राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही सुनाए गए कुछ फैसलों पर नाराजगी जताई है। कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें इस संस्था (सुप्रीम कोर्ट) से कोई उम्मीद नहीं बची है। सिब्बल ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आपको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी, तो आप बहुत गलत हैं और मैं यह सुप्रीम कोर्ट में 50 साल का अभ्यास पूरा करने के बाद कह रहा हूं।
अब सुप्रीम कोर्ट से नहीं बची कोई उम्मीद- सिब्बल
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर नारजगी जताते हुए कहा कि भले ही एक ऐतिहासिक फैसला पारित हो जाए, लेकिन इससे शायद ही कभी जमीनी हकीकत बदलती हो। इस साल मैं सुप्रीम कोर्ट में 50 साल की प्रैक्टिस पूरा पूरा करूंगा और 50 साल बाद मुझे लगता है कि मुझे इस संस्थान से कोई उम्मीद नहीं है। आप सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए प्रगतिशील निर्णयों के बारे में बात करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर जो होता है, उसमें बहुत बड़ा अंतर होता है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता पर फैसला दिया। इस दौरान ईडी के अधिकारी आपके घर आए, आपकी निजता कहां है?
कपिल सिब्बल ने की SC की आलोचना
सिब्बल ने जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका को खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों को विशेष जांच दल (SIT) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि SIT ने अपनी जांच ठीक से नहीं की मगर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं किया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा 17 आदिवासियों की अतिरिक्त-न्यायिक हत्याओं की कथित घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग वाली 2009 में दायर याचिका को खारिज कर दिया।
फैसलों के परिमाण क्या होंगे, इसे सब जानते हैं- सिब्बल
उन्होंने यह भी कहा कि संवेदनशील मामले केवल चुनिंदा न्यायाधीशों को सौंपे जाते हैं और कानूनी बिरादरी आमतौर पर पहले से जानती है कि फैसले का परिणाम क्या होगा। मैं ऐसी अदालत के बारे में बात नहीं करना चाहता। जहां मैंने 50 साल तक प्रैक्टिस की है, लेकिन अब समय आ गया है। अगर हम इस पर नहीं बोलते हैं, तो कौन बोलेगा। वास्तविकता ऐसी है कि कोई भी संवेदनशील मामला जो हम जानते हैं कुछ न्यायाधीशों के सामने एक समस्या रखी गई है और हम परिणाम जानते हैं।
अपने अधिकारों की सुरक्षा की मांग करें लोग- कपिल सिब्बल
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अगर लोग अपनी मानसिकता नहीं बदलेंगे तो स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि भारत में माई-बाप संस्कृति है, लोग शक्तिशाली लोगों के चरणों में गिरते हैं। लेकिन समय आ गया है कि लोग बाहर आएं और अपने अधिकारों की सुरक्षा की मांग करें। सिब्बल ने आगे कहा कि स्वतंत्रता तभी संभव है जब हम अपने अधिकारों के लिए खड़े हों और उस स्वतंत्रता की मांग करें। उन्होंने शीर्ष अदालत में लंबित धर्म संसद मामले का भी उल्लेख करते हुए कहा कि अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए सरकारों से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि आरोपियों को अगर गिरफ्तार भी किया गया था, तो उन्हें 1-2 दिनों में जमानत पर रिहा कर दिया गया और फिर दो सप्ताह के अंतराल के बाद धर्म संसद की बैठकें जारी रहीं।