Sunday, March 26, 2023
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Mokshagundam Visvesvaraya: वर्ल्ड इंजीनियर्स डे पर जाने कौन है मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया और क्यों मानते है इंजीनियर्स डे

Mokshagundam Visvesvaraya: वर्ल्ड इंजीनियर्स डे पर जाने कौन है मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया और क्यों मानते है इंजीनियर्स डे हमारे देश और समाज को आगे बढ़ाने में हर तबके ने अपनी एक भूमिका निभाई सभी का आपने आपने स्टार पर महत्वपूर्ण स्थान है इन तबको में एक बड़ा स्थान इंजीनियरों का है उन्होंने समाज और देश के लिए कई कार्य किये है इंजीनियरो के सहयोग के बिना किसी भी देश का आगे बढ़ना बड़ा मुश्किल काम है . यही वजह है कि इंजीनियर्स को सम्मानित करने के लिए हर साल आज ही के दिन 15-सितम्बर के दिन वर्ल्ड इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. क्या आपको पता है की यह खास दिन भारत के महान इंजीनियर मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया की याद में मनाया जाता है.

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इस तारीख को ही क्यों मानते है
15 सितंबर के दिन ही भारत के महान इंजीनियर मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था. इस लिए भारत सरकार ने 1968 में 15 सितंबर के दिन को इंजीनियर्स डे के रूप में इंजीनियर्स के सम्मान के लिए मनाने की घोषणा की थी, तभी से हर साल इंजीनियरों को सम्मानित करने के लिए इसी तारीख को वर्ल्ड इंजीनियर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. ये दिन न सिर्फ इंजीनियर्स को सम्मानित करने के लिए बल्कि ट्रेनी इंजीनियर्स को भविष्य में बेहतरीन योगदान देने के लिए प्रेरित करने के तौर पर भी मनाया जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने दी ट्वीट कर बधाई

वर्ल्ड इंजीनियर्स डे के मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर सभी इंजीनियर्स को बधाई दी.

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का भारत की अर्थव्यवस्था में है अतुलनीय योगदान

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है . एम विश्वेशरैया सिर्फ इंजीनियर ही नहीं बल्कि एक कुशल राजनेता भी थे. अपनी इंजीनियरिंग का प्रयोग उन्होंने कई कामों में किया और ये साबित कर दिखाया कि हमारा व्यवहारिक ज्ञान कैसे हर जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. जल आपूर्ति और बांधों के क्षेत्र में विश्वेशरैया का अतुलनीय योगदान रहा है. मोक्षमुंडम विश्वेसरैया को 1907-08 में यमन भेजा गया. जहां उन्होंने अदन में एक बेहतरीन परियोजना तैयार कर अपना जलवा दिखाया. कृष्णा सागर की तरह देश के कई मुख्य बांधों को बनवाने में मोक्षमुंडम विश्वेसरैया का अहम योगदान रहा है. जिनसे देश की कृषि और अर्थव्यवस्था को भी फायदा हुआ. उनके अतुलनीय योगदानों को ध्यान में रखते हुए 1955 में मोक्षमुंडम विश्वेसरैया को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. विश्वेसरैया को तब 50 वर्षों के लिये लंदन इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स की मानद सदस्यता से भी सम्मानित किया गया.

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