Most expensive mine betul: यदि आने वाले समय में आपका मकान बनाना है तो सावधान हो जाइए। दरअसल आगामी वर्षों के लिए खनिज विभाग ने रेत खदान के लिए जिस फर्म को ठेका दिया है, यह फर्म लोगों को सोने जैसे तोले के भाव में रेस देगी। यानी एक छोटे मकान को बनाने में लाखों और बड़े मकान को बनाने के लिए करोड़ों-अरबों रुपए की लग जाएगी। यह बात सुनने में बड़ी अजीब लगती है लेकिन वास्तविकता है कि नरसिंहपुर जिले की करेली की वंशिका कान ने जिले को रेत खदान के लिए जिस तरह आफसेट प्राइज 25 करोड़ की अपेक्षा 32 नील की बोली लगाई है।
इससे न सिर्फ स्थानीय शानिज अधिकारी बल्कि पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। ऑफसेट प्राइज से 1 280,000 करोड़ गुणा अधिक दाम लगाकर अपना आधिपत्य ले लिया है। बैतूल जिले का खनिज ठेका अपने आप में एक ऐसा रिकार्ड बना रहा है जो पूरे भारत में आज तक नहीं हुआ है। अब ठेकेदार ने इसे वास्तव में मजाक किया है या भूलवश 32 नील में ठेका लिया है, यह तो पंद्रह दिनों बाद स्पष्ट होगा जब 16 नील भारी भरकम निविदा की आधी राशि जमा करना होगा। यदि यह राशि पंद्रह दिन में जमा नहीं होती है तो खनिज विभाग कंट्रक्शन कंपनी द्वारा जमा किए गए 6 करोड़ 25 लाख रुपए की ईएमडी जब्त कर लेगा।
332 लाख करोड़ में नरसिंहपुर की वंशिका कंट्रक्शन का ठेका चर्चा
बैतूल जिले की रेत कितनी महंगी है यह तो पूरे प्रदेश में नीलामी के समय चर्चा में रहती है, लेकिन इतनी भी महंगी न हो जाए कि गीनिज बुक आफ वल्ड में नाम दर्ज करने जैसा प्रयास हो जाए। वास्तविकता यह है कि पिछले कुछ वर्षों से रेत के कारोबार में माफियाओं के बाद राजनैतिक संरक्षण ने इसे कहीं न कहीं फायदे का सौदा साबित कर दिया है। यही वजह है कि जिले की रेत पर इस कारोबार से जुड़े लोगों की न सिर्फ प्रदेश बल्कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लोग भी गीद दृष्टि लगाए बैठे रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों से उमा रेसीडेंसी सतना के नाम पहले खुद इसके बाद नरसिंहपुर जिले के एक रसूखदार कांग्रेस विधायक ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ रेत के कारोबार में खासी सहभागिता निभाई है, लेकिन इस मर्तबा यह टीम पूरे कारोबार से दूरियां बना ली है।
वेदिका कंस्ट्रक्शन ने बोली लगाकर बनाया रिकार्ड !
जिले में खनिज खदान के लिए 27 जुलाई तक खनिज विभाग ने नीविदा आमंत्रित की थी। इसके लिए 25 करोड़ की आफसेट प्राइज निर्धारित की थी। जिले की 10 लाख घन मीटर के लिए यह राशि खनिज विभाग ने तय की। इसके एवज में केवल दो फर्मों वेदिका कंस्ट्रक्शन, देवरी राजमार्ग तहसील करेली जिला नरसिंहपुर ने उच्चतम बोली 32,00,00,00,00,000 (32 नील या 332 लाख करोड़) लगाकर खनिज खदान का सिरमोर बन गया। दूसरी फर्म धनलक्ष्मी मर्रचन्डाइज पालि कालिका नगर नर्मदापुरम ने 28 करोड़ 60 हजार रुपए की बोली लगाई थी। दोनों फर्मों की बोली में जमीन आसमान का फर्क दिखाई दे रहा है। वेदिका कंस्ट्रक्शन ने जिस तरह 32 नील की बोली लगाई है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह अपने आप में एक वर्ल्ड रिकार्ड है।
5 दिन में करना है 50 प्रतिशत राशि जमा
खनिज विभाग के सूत्रों ने बताया कि करेली की वंशिका कंस्ट्रक्शन को 32 नील में जिले की 47 रेत खनिज का ठेका लिया है। इसके लिए 32 नीत में से 50 प्रतिशत यानी 16 नील (116 ताख करोड़ की राशि 15 दिन में जमा करना है। यदि यह राशि संबंधित कंपनी द्वारा जमा नहीं कराई जाती है तो निविदा में भाग लेने हेतु जमा की गई 6 करोड़ 26 लाख की ईएमडी खनिज विभाग द्वारा जब्त कर ली जाएगी। यदि ठेकेदार इतनी राशि जमा कर देता है तो जिले में रेत उम्परों से नहीं सोने की तरह ग्राम से बिकेगी। हालांकि यह स्थिति हास्यपद दिखाई दे रही है।
तकनीकी फाल्ट या वास्तविकता ?
बेदिका कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा 32 नील की उच्चतम बोली लगाकर जिले की 47 चिन्हित जगहों से रेत समूह का ठेका अपने नाम कर लिया है। ताज्जुब की बात यह है कि खनिज विभाग ने 32 नील की राशि ठेकेदार द्वारा बोली लगाने की जांच तक नहीं की। इसमें शून्य या पाईंट का पेंच है या नहीं यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है, क्योंकि संभव नहीं कि 25 करोड़ आपसेट प्राईज वाले जिले में 32 नील की बोली लगाई जाए। यह तकनीकी फाल्ट या मजाक यह तो ठेकेदार या खनिज विभाग से अच्छा कोई नहीं जान सकता, लेकिन सूत्र बताते है कि संबंधित कंपनी को अपनी गलती का एहसास होने के बाद 6 करोड़ 25 लाख की जमा ईएमडी राजनैतिक रसूख के सहारे वापस लेने की तैयारी की जा रही है। यह बात खनिज विभाग के अधिकारी भी दबी जुबान से कर रहे है।