Muslim Woman’s: पति से छुटकारा पाने के लिए खुली प्रथा पसंद है मुस्लिम महिलाओं को, जानिए क्या है इसकी वजह
मुंबई के मीरा रोड पर पांच दारुल काजा हैं, जिसमें हाल के वर्षों में 900 मामले सामने आए हैं। 300 खुला के मामले यहीं पर सुलझाए गए हैं।
मुस्लिम महिलाएं तलाक लेने के लिए खुला प्रथा का अधिक इस्तेमाल कर रही हैं। इमरत-ए-शरिया के दारुल कज़ा या इस्लामी मध्यस्थता केंद्रों में उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि तलाक के अधिकांश मामले खुला प्रथा के माध्यम से दायर किए जाते हैं। महिलाओं की एक बड़ी संख्या खुला के माध्यम से अपनी शादी समाप्त करने का विकल्प चुन रही है।
क्या होती है खुला प्रथा?: अकसर तलाक को पुरुषों द्वारा लिया जाता है लेकिन खुला प्रथा के मामले में महिलाएं तलाक की पहल करती हैं। इस प्रथा में महिलाएं अपनी मेहर को भी सरेंडर कर देती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तलाक की पहल महिला की ओर से की गई है। खुला प्रथा का पालन “खुलनामा” नामक दस्तावेज के अनुसार मौखिक रूप से किया जाता है।
पटना के प्रसिद्ध इमरत-ए-शरिया में शादी और तलाक के मुद्दों को तय करने के लिए जिम्मेदार प्रमुख काजी अंजार आलम कासमी ने बताया, “पिछले इस्लामिक वर्ष में 2021-22 के अनुरूप, हमारे पास इमरत शरिया मरकज़ में 572 मामले थे। लगभग सभी मामले केवल मुट्ठी भर मुबारत के मामलों के साथ खुला के थे और तीन तलाक का कोई मामला नहीं था।”