Shami leaves: दशहरा शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास में थे। तब दुष्ट, अभिमानी रावण, भगवान श्री राम की कुटिया में ऋषि के वेश में, माता सीता का अपहरण करता है और उन्हें अपने साथ लंका ले जाता है।
श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पूर्व शमी वृक्ष के सामने झुककर उनकी विजय की प्रार्थना की। जिसके बाद श्री राम ने रावण का वध किया। तब से यह माना जाता है कि शमी के पत्तों को छूने मात्र से व्यक्ति के सभी कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि शमी का पेड़ घर में लगाने से देवताओं की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसके साथ ही शमी का पेड़ शनि देव के क्रोध से भी बचाता है। शमी के पत्ते बांटने से घर में सुख-समृद्धि आती है। पुराणों में शमी वृक्ष की महिमा का बहुत उल्लेख किया गया है।

शमी के पेड़ को फलता-फूलता देख इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस साल सूखे की स्थिति है या नहीं। शमी का पेड़ घर की उत्तर पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार रोजाना शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से शनि देव के क्रोध से बचा जा सकता है।