Business Plan: अपनी आय को चौगुना बढ़ाने के लिए जल्द करे इस नस्ल का मुर्गा पालन, 1000 रुपए किलो बिकता है यह मुर्गा, पूरी जानकारी। कड़कनाथ मुर्गा काला होता है। इसकी मीट, हड्डियां और खून तक भी काले होते हैं। यहीं इसकी विशेष पहचान है। कड़कनाथ में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इस वजह से मांस की मांग बढ़ रही है। पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण यह आम किस्मों से महंगा बिकता है।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कड़कनाथ मुर्गो की देशभर में ज्यादा डिमांड है (Kadaknath chickens found in Madhya Pradesh and Chhattisgarh are in high demand across the country.)

लंबे समय से भारत में किसान खेती (Farming) के साथ अतिरिक्त कमाई के लिए पशुपालन, मछली पालन और मुर्गा पालन जैसे कार्यों को करते हैं। इससे उनकी पोषण की जरूरत तो पूरी होती ही है, यह आमदनी का एक जरिया भी बन जाता है। यहीं कारण है कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए काम कर रही सरकार कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा दे रही है। कड़कनाथ देसी मुर्गे की किस्म है। विशेषकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कड़कनाथ की अब देशभर में मांग बढ़ रही है।
पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है कड़कनाथ मुर्गा इसीलिए इतना महंगा होता है (Kadaknath cock is full of nutritious properties that is why it is so expensive)

कड़कनाथ मुर्गा काला होता है। इसकी मीट, हड्डियां और खून तक भी काले होते हैं। यहीं इसकी विशेष पहचान है, कड़कनाथ में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इस वजह से मांस की मांग बढ़ रही है। पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण यह आम किस्मों से महंगा बिकता है। वहीं वसा कम होने और प्रोटीन की अधिक मौजूदगी के कारण यह मांसाहारी लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा बताया गया काफी तेजी से बढ़ी है चूजों की मांग (The demand for chicks has increased very fast as told by Krishi Vigyan Kendra)

इसकी मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, लेकिन उत्पादन कम होने के कारण आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बढ़ती मांग को देखते हुए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग ने विशेष व्यवस्था की है। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) को चूजों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करने की सलाह दी गई है।
Business Plan: अपनी आय को चौगुना बढ़ने के जल्द करे इस नस्ल का मुर्गा पालन, 1000 रुपए किलो बिकता है यह मुर्गा, पूरी जानकारी

अगर कड़कनाथ मुर्गा पालन की बात करें तो इसके लिए विशेष मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है। घर के पीछे खाली जगह में भी इसका पालन किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों और केवीके की मदद से केरल के एर्नाकुलम जिले में कड़कनाथ मुर्गा पालन का चलन तेजी से बढ़ा है। यहां पर किसान घर के पीछे ही मुर्गा पालन कर रहे हैं। डीडी किसान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एर्नाकुलम जिले में वर्तमान में 600 से अधिक घरों के पीछे कड़कनाथ पालन का काम चल रहा है।
कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारें कर रही हैं किसानों की मदद(Government is helping farmers to promote Kadaknath poultry farming)

आप भी कड़कनाथ मुर्गा पालन को कमाई का जरिया बनाना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सरकार से आपको मदद मिल जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार 53 हजार रुपए जमा करने पर चूजों को मुहैया कराती है। साथ ही 30 मुर्गियों के शेड और इनके लिए 6 महीने का दाना भी दिया जाता है।
विदेश में भी है इस मुर्गे की भारी डिमांड (There is a huge demand for this chicken in foreign countries too.)

इस योजना के तहत मुर्गे के टीकाकरण और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी सरकार के पास रहती है। मुर्गे बड़े हो जाएं तो सरकार ब्रांडिंग और मार्केटिंग का जिम्मा भी उठाती है। इस वक्त देश के साथ ही विदेश में भी कड़कनाथ की मांग बढ़ी है। खाड़ी देशों तक में कड़कनाथ को पसंद किया जा रहा है।
सरकार कई तरह से कर रही है मदद (Government is helping in many ways)
मध्य प्रदेश के कड़कनाथ मुर्गा को जीआई टैग प्राप्त है। ऐसे में यहां की सरकार कड़कनाथ पालन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की है। अंडा सेने के लिए हैचर मशीन मुफ्त देने से लेकर प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गई है।